Tuesday, January 26, 2016

Admission OPEN - UG & PG Programs in Design



ADMISSIONS OPEN 2016-17
UG & PG Programs in Design
Strong linkages & tie ups with Industry & reputed Foreign Universities
State of the art infrastructure
Highly qualified and Experienced faculty
Structured Curriculum
Provides scholarships and educational loans
100% Placement Assistance
Conducive environment for the personal and intellectual growth
Strong linkages & tie ups with Industry & reputed Foreign Universities

--
Click Here to unsubscribe from this newsletter.

Wednesday, January 13, 2016

lal bahadur shastri indira gandhi लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध लाल बहादुर शास्त्री मराठी lal bahadur shastri बच्चे लाल बहादुर शास्त्री मराठी माहिती लाल बहादुर शास्त्री पर कविता लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

लाल बहादुर शास्त्री

विपक्ष में लाल बहादुर शास्त्री जैसे अदम्य साहसी नेता की परमावश्यकता ------ विजय राजबली माथुर 

51 वीं पुण्यतिथि पर शास्त्री जी की आवश्यकता आज क्यों? : 

लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध

 लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध


इतिहासकार रामचन्द्र गुहा साहब ने 1965 में हुये भारत-पाक संघर्ष के विजेता के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के साहस व निर्णय की सराहना करने के साथ-साथ उन परिस्थितियों की ओर भी संकेत किया है जो दोनों देशों के मध्य विवाद का हेतु हैं।

वस्तुतः 1857 की प्रथम क्रान्ति के बाद से ही ब्रिटिश साम्राज्यवादी फूट डालो और शासन करो की जिस नीति पर चलते आ रहे थे उसके बावजूद जब 1942 के भारत-छोड़ो आंदोलन, एयर-फोर्स व नेवी में विद्रोह तथा आज़ाद हिन्द फौज की गतिविधियों के कारण जब उनका टिके रहना मुश्किल हो गया तब नए साम्राज्यवादी सरगना यू एस ए ने भारत-विभाजन का सुझाव दिया जिस पर मेजर लार्ड ऐटली ने अपने प्रधान मंत्रित्व काल में अमल करते हुये पाकिस्तान व भारत दो स्वतंत्र देशों को सत्ता सौंप दी थी। पाकिस्तान तो तत्काल अमेरिकी प्रभुत्व में चला गया था किन्तु नेहरू जी ने गुट-निरपेक्ष आंदोलन के बैनर तले अमेरिका से दूरी बनाए रखी थी जिस कारण वह पाकिस्तान के माध्यम से भारत को परेशान करता रहा था। 1947 के बाद 1965 का संघर्ष भी उसी कड़ी में था और 1971 का बांग्लादेश व 1999 का कारगिल संघर्ष भी ।

जब जिया-उल-हक साहब की उपयोगिता अफगान समस्या के बाद समाप्त हो गई तब यू एस ए ने उनको अपने राजदूत की कीमत पर भी हवाई जहाज समेत उड़ा दिया था। ओसामा-बिन-लादेन के सफाये के साथ ही यू एस ए ने पाकिस्तान की सार्वभौमिकता को अमान्य कर दिया है। उसके लिए अब पाकिस्तान उपयोगी नहीं रह गया है विशेषकर तब जब मोदी के नेतृत्व में आर एस एस समर्थक सरकार भारत में गठित हो चुकी है। जब सरकार के माध्यम से भारत को अपने समर्थन में यू एस ए खड़ा देख रहा है तब पाकिस्तान के अस्तित्व का मतलब ही क्या रह जाता है? 
अनुच्छेद 370 को समाप्त कराने की मांग उठाते रहे लोग जब सत्ता में मजबूती से आ गए हैं तब बिना पाकिस्तान के अस्तित्व के ही 'जोजीला'दर्रे में स्थित 'प्लेटिनम' जो 'यूरेनियम' के उत्पादन में सहायक है यू एस ए को देर सबेर हासिल होता दीख रहा है । अड़ंगा चीन व रूस की तरफ से हो सकता है और उस स्थिति में भारत-भू 'तृतीय विश्वयुद्ध' का अखाड़ा भी बन सकती है। देश और देश कि जनता का कितना नुकसान तब होगा उसका आंकलन वर्तमान सरकार नहीं कर सकती है तो क्या विपक्ष भी नहीं करेगा ? और जनता से तादात्म्य स्थापित करने का कोई प्रयास साम्राज्यवाद विरोधी खेमे की ओर से भी अभी तो नहीं हो रहा है अभी तो वही पुरानी लीक ही पीटी जा रही है जिसका इस देश कि जनता पर कभी भी कोई भी असर हो ही नहीं सकता है। 

प्रस्तुत समाचार व अमेरिकी प्रवक्ता के बयान के लिंक  यू एस ए अभियान की पुष्टि करते हैं।

  इस वक्त पाकिस्तान को झुका कर यू एस ए भारत में मोदी की हैसियत को मजबूत करना चाहता है जिनकी सरकार का लोकप्रिय होना दीर्घकालीन अमेरिकी हितों के अनुरूप होगा। निकट भविष्य में पाकिस्तान के स्थान पर कई छोटे-छोटे देश सृजित करवा कर अमेरिका भारत की बहुसंख्यक जनता के दिलों में अपना राज जमा कर अपने देश के व्यापारिक हितों को ही साधेगा जबकि यहाँ की जनता को लगेगा कि वह यहाँ कि बहुसंख्यक जनता का हितैषी है और यह सब मोदी व उनकी सरकार के चलते संभव हुआ है। 

अतः इस बात की कोई सम्भावना नहीं है कि ( जैसा कि इतिहासकार महोदय कल्पना कर रहे हैं ) मोदी साहब शास्त्री जी जैसी (1965 ) या इंदिरा जी जैसी (1971 ) दृढ़ता दिखाएंगे। तब तक भारत से नेहरू जी की  व्यावहारिक नीतियों का सफाया नहीं हुआ था और देश का स्वाभिमान कायम था। लेकिन 1975  में हुये देवरस-इन्दिरा 'गुप्त-समझौते' के तहत 1980 में इंदिराजी की पुनर्वापसी से देश में आर एस एस का जो प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ था वह 1991 में मनमोहन सिंह के वित्तमंत्री बनने के साथ ही मजबूत होता गया तथा 13 दिन, 13 माह और 60 माह की ए बी वाजपेयी सरकारों के दौरान उसने शासन-प्रशासन और इंटेलीजेंस में तगड़ी पकड़ बना ली थी। मनमोहन सिंह जी का 120 माह का कार्यकाल आर एस एस की दोहरी खुशियों का था जिसमें सत्ता व विपक्ष उसके ही इशारे पर चल रहा था। मोदी के सत्तारोहण ( जिसमें मनमोहन सिंह जी का सक्रिय योगदान है ) से सत्ता तो सीधे-सीधे आर एस एस से ही प्रभावित है किन्तु अब विपक्ष को पुनः अपनी पकड़ में लाने हेतु आर एस एस तमाम तिकड़में एक साथ चल रहा है। आ आ पा के रूप में उसे एक नया राजनीतिक दल तो मिल ही चुका है पुराने क्षेत्रीय दलों जैसे सपा, बसपा आदि-आदि को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करके आर एस एस राजनीति में व्यापक रूप से अपने पैर पसार रहा है। भारत में सर्वहारा (दलित ) वर्ग को व्हाईट हाउस की नीतियों के तहत मोदी के पीछे गुप-चुप ढंग से लामबंद किया जा रहा है। 

अफसोसनाक बात यह है कि साम्राज्यवाद विरोधी साम्यवाद/वामपंथ के हिमायती यू एस ए व आर एस एस के इस अभियान का कोई विकल्प न प्रस्तुत करके उनकी चालों का शिकार होते जा रहे हैं और अपने ही हाथों अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी चलाते जा रहे हैं। पोंगापंथ, ढोंगवाद/ब्रहमनवाद तेजी से अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है और प्रगतिशीलता/वैज्ञानिकता के नाम पर जिस तरीके से उसका विरोध किया जाता है उससे उसे अत्यधिक मजबूती ही मिलती जाती है। आज जब जनता को वास्तविक धर्म का मर्म समझाये जाने कि ज़रूरत थी तब माकपा महासचिव उसी पोंगापंथ के पथ का अनुसरण करके अंततः अपने विरोधियों को ही शक्तिशाली बनाने का कार्य शुरू कर चुके हैं। आज शासन में  तो अब संभव ही नहीं  है  अतः विपक्ष में लाल बहादुर शास्त्री जैसे अदम्य साहसी नेता की परमावश्यकता है जो जनता का दिल जीत कर किसान,जवान और मजदूर के हितों का संघर्ष चला कर नेतृत्व कर सके।



लाल बहादुर शास्त्री पर कविता

पैदा हुआ उसी दिन,
जिस दिन बापू ने था जन्म लिया
भारत-पाक युद्ध में जिसने
तोड़ दिया दुनिया का भ्रम।
एक रहा है भारत सब दिन,
सदा रहेगा एक।
युगों-युगों से रहे हैं इसमें
भाषा-भाव अनेक।
आस्था और विश्वास अनेकों
होते हैं मानव के।
लेकिन मानवता मानव की
रही सदा ही नेक।
कद से छोटा था लेकिन था
कर्म से बड़ा महान।
हो सकता है कौन, गुनो वह
संस्कृति की संतान।

लाल बहादुर शास्त्री मराठी

लाल बहादुर शास्त्री मराठी माहिती


लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

  साल बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत रहस्य बनी हुई है. आरटीआई कार्यकर्ता रोहित चौधरी ने शास्त्री की मौत को लेकर कई खुलासे किए हैं. उनके द्वारा लगाई गई आरटीआई के जवाब में शास्त्री के मेडिकल रिपोर्ट से चौकाने वाली बातें सामने आई हैं.

रोहित ने बताया कि उन्होंने पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच की रिपोर्ट को लेकर आरटीआई लगाई जिसके जवाब में पाया कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मरने से 30 मिनट पहले तक बिलकुल ठीक थे. 15 से 20 मिनट में तबियत खराब हुई और उनकी मौत हो गई.

इसमें कहा गया है कि शास्त्री की मौत के बाद उनके डेड बॉडी का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था. आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक, शास्त्री 10 जनवरी 1966 की रात 12.30 बजे तक बिलकुल ठीक थे. इसके बाद अचानक उनकी तबियत खराब हुई, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने डॉक्टर को बुलाया.

डॉक्टर आरएन चग ने पाया कि शास्त्री की सांसें तेज चल रही थीं और वो अपने बेड पर छाती को पकड़कर बैठे थे. इसके बाद डॉक्टर ने इंट्रा मस्कूलर इंजेक्शन दिया. इंजेक्शन देने के तीन मिनट के बाद शास्त्री का शरीर शांत होने लगा. सांस की रफ्तार धीमी पड़ गई. इसके बाद सोवियत डॉक्टर को बुलाया गया. इससे पहले कि सोवियत डॉक्टर इलाज शुरू करते रात 1.32 बजे शास्त्री की मौत हो गई.

आरटीआई कार्यकर्ता ने सवाल किया कि पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया, उसे गुप्त क्यों रखा गया. जबकि, शास्त्री का परिवार भी इसके बारे में जानना चाहता है. यहां तक कि उनके पोते ने भी मौत के कारणों को जानने के लिए इसकी मांग की थी.


उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ललीता शास्त्री ने दावा किया कि उनके पति को जहर देकर मारा गया. उनके बेटे सुनील शास्त्री ने सवाल ने कहा था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे. साथ ही उनके शरीर पर कुछ कट भी थे.

बता दें कि शास्त्री की मौत 11 जनवरी 1966 को हुई थी. इससे पहले वो पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के लिए वह समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के 1.32 बजे अचानक मौत हो गई.

हालांकि, आधिकारिक तौर पर कहा जाता रहा है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. शास्त्री को ह्दय संबंधी बीमारी पहले से थी और 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक आया भी था. इसके बाद उन पर उनके परिजन और दोस्त उन्हें कम काम करने की सलाह देते थे. लेकिन 9 जून, 1964 को देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर काम का दबाव बढ़ता ही चला गया.

भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में अप्रैल से 23 सितंबर के बीच 6 महीने तक युद्ध चला. युद्ध खत्म होने के 4 महीने बाद जनवरी, 1966 में दोनों देशों के शीर्ष नेता तब के रूसी क्षेत्र में आने वाले ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए. पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान वहां गए. 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौता भी हो गया. इसके बाद उनकी मौत हो गई.


जीवन साथी कैसा होगा. ..आपकी पत्नी / पति का स्वभाव कैसा होगा ? लग्न के आधार पर भविष्य कथन की सत्यता

पूरे शरीर में ह्रदय एक विचित्र सा अवयव है.एक तरफ यह समस्त शरीर को खून पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य करता है,तो दूसरी तरफ यह अपने आप में इतनी सूक्ष्म और कोमल कल्पनाएँ रखता है कि जिसको समझना किसी के बूते की बात नहीं.


यह कोमल इतना होता है कि छोटी -सी बात से इसको इतनी अधिक ठेस लगती है कि यह बिल्लौरी कांच की तरह टूट कर चूर-चूर हो जाता है.यह एक प्रतीक है अनुभूतियों का ,सुन्दर स्वप्न है मानवीय कल्पनाओं का और कोष है-सद्भावना,करुणा,ममत्व,सहानुभूति और स्नेह का.
ह्रदय की पूर्ति होती है एक-दुसरे ह्रदय से ,जो उसी की तरह कोमल कल्पनाओं से ओत-प्रोत हो,जिसमें प्यार का सागर ठाठें मार रहा हो और जिसकी अनुभूति रोम-रोम में गुदगुदी मचा देने में समर्थ हो.इसी लिए भारतीय आर्य -ऋषियों ने वर्णाश्रम की व्यवस्था करते हुए गृहस्थाश्रम को सर्वाधिक महत्त्व दिया है.


ये उदगार हैं एक महान और उद्भट विद्वान के.वस्तुतः मानव-जीवन तभी सफल कहा जाता है ,जब उसका अर्द्धांग भी पूर्णतः उसके साथ एकाकार हो गया हो .जिसके घर में सुलक्षणा ,सुशील,सुन्दर और शिक्षित पत्नी हो,वह घर निश्चय ही इंद्र-भवन से बढ़ कर है.लेकिन क्या वास्तव में सबको ऐसी पत्नी मिल सकती है?प्रत्येक मनुष्य जन्म के समय प्रारब्ध में अपने पूर्व-जन्मों के संचित कर्म-फल के आधार पर पत्नी या पति कैसा मिलेगा ये लक्षण साथ लाता है.जन्म के समय उस स्थान के पूर्वीय क्षितिज पर जिस राशि की लग्न उदित हो रही होती है वही जन्म-लग्न कहलाती है.इस लग्न के आधार पर भविष्य कथन की सत्यता ९० प्रतिशत तक सटीक पाई जाती है.तो आइये देखें किस जन्म  लग्न में उत्पन्न स्त्री/पुरुष को कैसा पति/पत्नी मिलने के योग हैं.


मेष-जिस मनुष्य का जन्म मेष लग्न में हुआ है उसे सुन्दर,सुशील एवं शिक्षित पत्नी/पति मिलने के योग रहते हैं.तीखे नाक-नक्श,गौर वर्ण एवं चुम्बकीय मुस्कराहट से युक्त ऐसे स्त्री/पुरुष सहज ही लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं.धार्मिक कार्यों में इनकी रूचि रहती है तथा उपवास रखने,दान-पुण्य करने में वे तत्पर रहते हैं.उदार स्वभावना ऐसे व्यक्ति करने को तत्पर रहता है.जीवन में संघर्ष यह देख सकता है और पत्नी/पति के लिए सच्चा सहायक सिद्ध होता है .इन्हें संतान सुख भी श्रेष्ठ मिलता है.


वृष-जिस जातक का जन्म वृष लग्न में हुआ हो उसकी पत्नी/पति के कम शिक्षित होने के योग रहते हैं.भाग्य भी उसका साथ नहीं देता .बाल्यावस्था से ही इसे जीवन की कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ता है तथा जो भी कार्य करना चाहता है उसमें कुछ न कुछ बाधा उपस्थित हो ही जाती है.सिर-पीड़ा एवं उदर-पीड़ा के रोग होने की संभावना रहेगी.


मिथुन-जिस व्यक्ति का जन्म   मिथुन लग्न में हुआ हो उसे पत्नी/पति गर्वीला व अहंकारी मिलने के योग रहते हैं.उसके सम्मान को जरा सी ठेस लगी नहीं कि,वह सांपिन सा फुफकार उठता है.हालांकि जातक को धनी सुसराल मिलने के योग तो नहीं होते परन्तु फिर भी श्वसुर जीवन के आर्थिक पक्ष में कमोबेश सहायक ही होता है.पुत्र अच्छे व सद्गुणी पैदा होने के योग रहते हैं.


कर्क-जिस स्त्री/पुरुष का जन्म कर्क लग्न में होता है उसे पति/पत्नी क्रोधी स्वभाव का तथा जरूरत से ज्यादा टोटके बाज मिलने के योग रहते हैं.यह अपने सम्मान की रक्षा करने वाला होता है.यह स्वंय दूसरों से व्यंग्य करता है परन्तु दूसरों के व्यंग्य सहन नहीं करता है और जो इसके अहम् को ठेस पहुंचाता है उसके प्रति यह भयंकर बन जाता है.वैर(शत्रुत्व)यह भूलता नहीं और समय मिलने पर यह वैर निकाल कर ही दम लेने वाला होता है.


सिंह-जिस जातक का जन्म सिंह लग्न में होता है उसकी पत्नी/पति संघर्षशील एवं विपत्तियों का दृढ़तापूर्वक सामना करने वाला मिलता है.पुण्य-कार्य में इसकी रूचि होती है तथा प्रत्येक की यथा शक्ति सहायता करना इसका स्वभाव होता है.इस स्त्री/पुरुष में अहंकार की भावना भी प्रबल होती है,वह चाहता है कि जो कुछ भी वह कहे ,लोग उसे मानें,इसके विचारों को प्राथमिकता दें.सुन्दर,सुशील एवं गुणवान यह स्त्री/पुरुष श्रेष्ठ संतान को जन्म देने में सक्षम हैं.


कन्या-जिस जातक का जन्म कन्या लग्न में होता है उसकी पत्नी/पति कट्टर धार्मिक होता है.रंग गोरा न होते हुए भी यह सुन्दर ही होता है.चंचल व चपल ऐसा स्त्री/पुरुष समय एवं स्थिति के अनुसार उत्तर देने में पटु होता है तैराकी व स्नान का शौक़ीन भी हो सकता है.ऐसा पत्नी/पति भाग्यवर्धक तो होता ही है,गुणवान पुत्रों को भी उत्त्पन्न करने में समर्थ होता है.
तुला-जिस जातक का जन्म तुला लग्न में हुआ होता है उसे पत्नी/पति क्रूर एवं क्रोधी मिलने के योग होते हैं.बात-बात पर हाथ करना ,बात-बात पर रूठना,घर में अशांति बनाये रखना उसका स्वभाव होता है.हाँ ऐसी पत्नी/पति गहराई से सोचने एवं तदनुरूप कार्य करने का हौसला रखते हैं.परन्तु फिर भी उनका दृष्टिकोण स्वंय से ऊपर नहीं उठ पाटा.कुल मिला कर वैवाहिक जीवन मधुर रहता है.


वृश्चिक -जिस जातक का जन्म वृश्चिक लग्न में होता है उसे सुन्दर एवं गुणवान पत्नी/पति प्राप्त होता है.नाक-नक्श तीखा और रूपवान होता है.वार्तालाप करने में पटु एवं मधुर -भाषी होता है.सिलाई,कसीदा,चित्रकला,नृत्य-संगीत ,व्यंजन आदि बनाने किसी भी कला में निपुण हो सकता है.ऐसी पत्नी/पति भावुक,काम-कला(सेक्स) में प्रवीण एवं वात-वल्लभा होता है.


धनु-जिस जातक का जन्म धनु लग्न में होगा उसे पत्नी/पति सुशील एवं समझदार मिलने के योग होंगे.अधिक सुन्दर न होते हुए भी नाक-नक्श उभरे व स्वच्छ होने के कारण आकर्षक अवश्य होगा.धनु लग्न में जन्म लेने वाले को श्वसुर से बहुत अधिक लाभ तो नहीं मिलता परन्तु वह जातक के पक्ष में अवश्य होते हैं.ऐसे जातक के पति/पत्नी उच्च विचारों वाले व सौभाग्यशाली होते है. जीवन में सफल रहते हैं.


मकर-जिस स्त्री/पुरुष का जन्म मकर लग्न में होता है उसे पति/पत्नी सुन्दर ,तीखे नाक-नक्श वाली व मधुर स्वभाव के मिलते हैं.कठोरता तथा रूखेपन से इन्हें वश में नहीं किया जा सकता परन्तु भावनाओं के द्वारा इन्हें नियन्त्रण में लाया जा सकता है.जीवन की कठोर वास्तविकताओं को झेलने की इनमें क्षमता होती है.


कुम्भ-जिन जातकों का जन्म कुम्भ लग्न में होता है उन्हें पत्नी/पति तुनक-मिजाज और क्रोधी स्वभाव के मिलते हैं.जरा सा भी कार्य यदि उनकी इच्छा के अनुरूप नहीं होता तो वे रूठ जाते हैं और कलह से घर के वातावरण को विषाक्त बना देते हैं.वे व्यवस्थित रूप से रहने वाले नहीं होते हैं.पार्टियों में ये एक रस न होकर अलग-थलग रहने की प्रवृति रखते हैं.परन्तु ऐसे पति/पत्नी साहसी होते हैं और विपत्ति के समय भी धैर्य को अक्षुण रखते हैं.मानव मन की परख कर समय के अनुरूप ये अपने को ढाल लेते हैं.ये स्वस्थ और बुद्धीमान भी होते हैं.


मीन-जिन जातकों का जन्म मीन लग्न में होता है उन्हें पत्नी/पति सुन्दर सुशील,मधुर-भाषी और सौभाग्यशाली मिलने के योग रहते हैं.इनकी संतान देर से होने के कारण इस और वे चिंतित रह सकते हैं.ये अपने जीवन साथी को सन्मार्ग पर ले जाने वाले होते हैं.दृढ चित्त के ऐसे पति/पत्नी एक-दुसरे का हर बाधा में दृढ़ता से साथ देते हैं.


उपर्युक्त बारह राशियों की लग्नों में जन्में जातकों के जीवन -साथी के स्वभाव के सम्बन्ध में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की गई है .इन लग्नों के अतिरिक्त जन्म-कुंडली में स्थित ग्रहों का भी व्यापक प्रभाव पड़ता है और उसी के अनुरूप प्रत्येक लग्न में जन्में हर स्त्री-पुरुष के जीवन-साथी का स्वभाव समरूप न होकर प्रथा- प्रथक होता है.परमात्मा ने जिस  रूप में आपका निर्माण किया है ,वह केवल आपका ही हुआ है ठीक उसी रूप में न तो कोई और हुआ है ,न है और न होगा ही. अतः आपका जीवन साथी भी जैसा है ठीक वैसा ह़ीआपकी लग्न में जन्में दुसरे जातक का नहीं हो सकता,यह सदा याद रखें.केवल स्वभावगत गुण-धर्म लगभग सामान हो सकते है,उन्हीं का अवलोकन उपरोक्त के आधार पर कर सकते हैं.