Tuesday, March 10, 2020

योनि मुद्रा Yoni mudra benefits for nervous system in Hindi

योनि मुद्रा What Is The Use And Benefit Of Yoni Mudra; Sarva Health Hand StepsBenefits In Hindi Marathi Tamil  Telugu


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योनि मुद्रा योग। हस्त मुद्राएं कई प्रकार की होती है और उन सबके अलग अलग स्वास्थ्‍य लाभ हैं। यौगिक दृष्टि योग मुद्राओं में योनि मुद्रा को भी खास महत्व मिला हुआ है। हालांकि तंत्रशास्त्र में इसका अलग महत्व है लेकिन यहां यह मुद्रा प्राणवायु के लिए उत्तम मानी गई है। यह बड़ी चमत्कारी मुद्रा है|  

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Yoni Mudra Benefits



Sarva Yoni Mudra

योनि मुद्रा (ज्योति मुदा)-योनि का अर्थ है-अधिष्ठान(निवास स्थान)।यही वह अधिष्ठान है जहाँ योगी स्थिर हो कर आदि शक्ति में लीन होता है।आदि शक्ति,ललिताम्बा,त्रिपुरसुंदरी यहाँ अधिष्ठात्री हैं।
"योनिमुद्रा त्रिखण्डेशी त्रिपुराम्बा त्रिकोणगा"।

कतिपय साधकों के अनुसार,लाहिड़ी महाशय कहते थे कि योनि मुद्रा का अभ्यास रात्रि में ही करना चाहिए।परंतु इसे सत्य नही माना जा सकता।योनि मुद्रा ध्यान की अवस्था में एक विशिष्ठ सोपान है तथा क्रिया के अभ्यास के पहले तथा बाद में भी माता की कृपा होती है।

योनि मुद्रा एक स्वयम्भू मुद्रा है तथा इस मुद्रा के संदर्भ में,यद्यपि साधक को अभ्यास करना होता है,अभ्यास शब्द उचित प्रतीत नही होता।यही बात महा मुद्रा तथा खेचरी मुद्रा के संदर्भ में भी सत्य है।ये मुद्राएं योगी की उन्नत क्रमविकास की पराकाष्टा की ओर संकेत करती हैं।अंतः अभ्यास शब्द के स्थान पर मै "प्रणाम" शब्द का प्रयोग करता हूँ।

आज्ञा चक्र के माध्यम से भ्रूमध्य में योनि(त्रिकोण) का दर्शन माता की कृपा से ही सम्भव होता है।वर्षों की साधना के बाद ही योगी पात्र हो पाता है।योगी को कूटस्थ ज्योति के दर्शन होते हैं।विधि-

1-आरम्भ में खेचरी मुद्रा के बिना भी योनि मुद्रा को प्रणाम कर सकते हैं।


2-आँखे तथा मुख बन्द कर क्रिया प्राणायाम की तरह ही प्राण ऊर्जा को मूलाधार से ऊपर खींचना शरू करें तथा बिंदु(मेडुला) तक ले कर आएं।साथ ही अपने दोनों हाथों की कुहनियों को ऊपर उठाते हुए अँगुलियों को चेहरे के समीप लाएं।यहाँ उद्देश्य है कि हमारी आँखे,मुख, कान तथा नासिकॉ छिद्र अँगुलियों द्वारा पूर्ण रूपेण बन्द किये जाएं।लेखकों ने नियम भी बना दिए हैं,जैसे कानों को अंगूठों से,होठों को अनामिका से इत्यादि।मेरा सुझाव है कि आप अपनी सुविधा से अँगुलियों का प्रयोग करें।कालांतर में नासिका छिद्र एवम् होठों के लिए अँगुलियों के प्रयोग की आवश्यकता ही नही पड़ती।संक्षेप में,समस्त द्वार जहाँ से ऊर्जा बाहर जा सकती है,बन्द होने चाहिए।ध्यान रहे,नासिका छिद्र बन्द करने के पूर्व आपका ऊर्जा आरोहण(inhalation) पूर्ण हो जाना चाहिए।


3-ऊर्जा का आरोहण पूर्ण है;समस्त द्वार बन्द हैं,ऊर्जा मस्तक में घनीभूत है तथा इन्द्रिय संयम का प्रकाश रुपी ओज भ्रूमध्य की ओर जा रहा है।इस अवस्था में ऊर्जा स्वतः भ्रूमध्य की ओर गमन करेगी।कुछ ही क्षणों में साधक को प्रकाशमयी अखण्ड मंडल के दर्शन होंगे।साधक तब तक उस अवस्था में स्थिर रहे जहाँ तक वह सहज हो।श्वास को रोके रखना है तब तक कि साधक सहज रह सके।कूटस्थ के दर्शन की अवस्था में भ्रूमध्य में ॐ का जप करें।


4-अब साधक को श्वास(प्राण ऊर्जा) छोड़नी है(क्रिया प्राणायाम की तरह मूलाधार तक)।
यह एक प्रणाम हुआ।ऐसे तीन प्रणाम करें।प्रत्येक प्रणाम के पश्चात् साधक अपने हाथों को यथास्थान रख सकता है तथा उन्हें वापस भी ला सकता है।यथास्थान ही रखना श्रेयस्कर होगा जिससे संचित ऊर्जा बाहर न जा सके एवम् साधक अंतर्मुखी बना रहे।


अतः आप योनि मुद्रा में भी तीन क्रिया प्राणायाम करते हैं।
जैसा मैंने कहा कि ये मुद्राएं स्वयम्भू हैं।अतः साधक की अनुभूति जो कुछ भी लिखा गया है,उसकी तुलना में अलग एवम् अद्वितीय हो सकती है।कुछ साधकों को ॐ का नाद भी सुनाई पड़ता है।प्रणाम के पश्चात् भी कूटस्थ ज्योति ललाट में मंडराती हैं।साधक को पूर्ण निष्ठा के साथ ज्योति को प्रणाम कर अगाध शांति में डूबे रहना चाहिए।यह शांति ध्यान आसन से उठने के बाद भी साधक के हर क्रिया कलाप में परिलक्षित होती है।


Yoni Mudra Benefits In Hindi


विशेष : इस योनि हस्त मुद्रा योग (yoni mudra yoga) के निरंतर अभ्यास के साथ मूलबंध क्रिया भी की जाती है। योनि मुद्रा को तीन तरह से किया जाता है। ध्यान के लिए अलग, सामान्य मुद्रा अलग लेकिन यहां प्रस्तुत है कठिनाई से बनने वाली मुद्रा का विवरण।

योनि मुद्रा विधि : पहले किसी भी सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों की अंगुलियों का उपयोग करते हुए सबसे पहले दोनों कनिष्ठा अंगुलियों को आपस में मिलाएं और दोनों अंगूठे के प्रथम पोर को कनिष्ठा के अंतिम पोर से स्पर्श करें।
फिर कनिष्ठा अंगुलियों के नीचे दोनों मध्यमा अंगुलियों को रखते हुए उनके प्रथम पोर को आपस में मिलाएं। मध्यमा अंगुलियों के नीचे अनामिका अंगुलियों को एक-दूसरे के विपरीत रखें और उनके दोनों नाखुनों को तर्जनी अंगुली के प्रथम पोर से दबाएं।

इसका आध्यात्मिक लाभ : योनि मुद्रा बनाकर और पूर्व मूलबंध की स्थिति में सम्यक् भाव से स्थित होकर प्राण-अपान को मिलाने की प्रबल भावना के साथ मूलाधार स्थान पर यौगिक संयम करने से कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं|
भौतिक लाभ : अंगूठा शरीर के भीतर की अग्नि को कंट्रोल करता है। तर्जनी अंगुली से वायु तत्व कंट्रोल में होता है। मध्‍यमा और अनामिका शरीर के पृथ्वी तत्व को कंट्रोल करती है। कनिष्ठा अंगुली से जल तत्व कंट्रोल में रहता है। 
इसके निरंतर अभ्यास से जहां सभी तत्वों को लाभ मिलता है वहीं इससे इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की शक्ति बढ़ती है।
इससे मन को एकाग्र करने की योग्यता का विकास भी होता है। यह शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक का विकास करती है। इससे हाथों की मांसपेशियों पर अच्छा खासा दबाव बनता है जिसके कारण मस्तिष्क, हृदय और फेंफड़े स्वस्थ बनते हैं।





Yoni Mudra Benefits In Marathi


Yoni Mudra in hindi योनि मुद्रा पुराने समय में लोगों के जीवन का एक हिस्सा एवं दिनचर्या में शामिल थी। भारत में प्राचीन काल से ही योग और मुद्राओं का अभ्यास किया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार योनि मुद्रा को उस समय का स्वर्णिम काल माना जाता था। यही कारण है कि उन दिनों स्वास्थ्य प्रणाली इतनी मजबूत थी। उन दिनों जानलेवा बीमारियां जैसे कैंसर एवं एड्स नहीं था और ना ही लोग इतनी मात्रा में दवाओं का सेवन करते थे। 

योनि मुद्रा का अभ्यास करके लोग अपने अंदर के चक्र की कल्पना करते थे और आंतरिक आवाज को सुनते थे। इस मुद्रा का अभ्यास करने वाले लोग मानते हैं कि दांये हाथ का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोगों को दाहिने कान से आंतरिक आवाज और बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बाएं कान से आवाज सुनायी देती है।

योनि मुद्रा योग की उन मुद्राओं में से एक है जो मन की शांत स्थिति को बढ़ावा देती है। इस आर्टिकल में हम आपको योनि मुद्रा करने के तरीके एवं फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं।
योनि मुद्रा क्या है – Yoni Mudra In Hindi


Yoni Mudra Benefits In Tamil

योनि मुद्रा को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है कि यह मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो किसी व्यक्ति को बाहरी दुनिया के शोरगुल या उथल पुथल से अलग कर देती है। योनि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ कोख (womb) या गर्भाशय (uterus) होता है। इस मुद्रा को योनि मुद्रा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जो व्यक्ति नियमित रुप से इस मुद्रा का अभ्यास करता है उसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रहता है और वह गर्भाशय में एक बच्चे की तरह खुद को महसूस करता है। योनि मुद्रा को भ्रमरी प्राणायाम (Bhramari pranayama) और शंमुखी मुद्रा (Shanmukhi mudra) भी कहा जाता है। भ्रमरी का अर्थ मधुमक्खी की तरह आवाज निकालना। वास्तव में इस मुद्रा में मधुमक्खी की तरह आवाज निकाली जाती है।

योनि मुद्रा करने का तरीका – Yoni Mudra Steps In Hindi


सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाएं और पदमासन या फिर किसी अन्य ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
अपनी पीठ की मांसपेशियों को एकदम सीधे रखें और पेट एवं पीठ को किसी भी तरह से लचीला ना करें।
मन को शांत रखें और दोनों आंखों को बंद कर लें।
इसके बाद अपने दोनों अंगूठे को दोनों कान पर रखें और तर्जनी उंगली को आंख की पलकों पर टिकाएं।
मध्यमा उंगली को नासिका के ऊपर रखें।

रिंग फिंगर को होठों के ऊपर और छोटी ऊंगली को होठों के नीचे रखें।

इसके बाद यह सुनिश्चित करें कि आपकी कोहनी आपके कंधे के एकदम बराबर एवं सीधी रेखा में हो।
अब गहरी सांस लें और अपनी मध्यमा उंगली से नासिका को बंद कर लें।

कुछ क्षण के लिए रुकें और नासिका को आधा बंद रखकर दबाव को थोड़ा कम करें और धीरे धीरे मधुमक्खी की आवाज के साथ सांस को छोड़ें।

सांस छोड़ते समय आपके चेहरे के विभिन्न हिस्सों में कंपन होना चाहिए, विशेषरुप से जहां आपने अपनी उंगलियों को रखा है।

एक बार सांस छोड़ने के बाद दोबारा से सांस खींचने के लिए थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। इस अवधि के दौरान एकदम शांत रहें और अपने शरीर की सभी संवेदनाओं एवं भावनाओं को महसूस करें।
इस मुद्रा को नियमित रुप से करें और यदि संभव हो तो सुबह के समय करें। दिन में भी इसे किया जा सकता है।


Sarva Yoni Mudra Benefits

लेकिन आप जितना अधिक शांत वातावरण में बैठकर इस मुद्रा का अभ्यास करेंगे, आपको उतना ही अधिक फायदा भी होगा।
योनि मुद्रा के फायदे – Yoni Mudra Benefits In Hindi

माना जाता है कि योनि मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जिसमें शांत मन से सांस छोड़ने लेने और सांस पर केंद्रित होने की क्रिया की जाती है। इस कारण से यह शरीर को आंतरिक शांति प्रदान करने में फायदेमंद है। इसके अलावा भी योनि मुद्र करने के अन्य कई फायदे हैं। आइये जानते हैं इन फायदों के बारे में।
Mudra Benefits for depression in Hindi

यह मुद्रा हर उम्र के लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है। नियमित रुप से योनि मुद्रा का अभ्यास करने से मस्तिष्क में अच्छे रसायन का स्राव होता है। इसके अलावा शरीर से भी विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं जिसके कारण मन हल्का लगता है। योनि मुद्रा का अभ्यास करने से कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर घटता है जिसके कारण तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नींद न आने की समस्या, नकारात्मक विचार, चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं। यही कारण है कि आज के समय के अनुसार योनि मुद्रा बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।
योनि  का अर्थ गर्भ होता है जैसे गर्भ में हम केन्द्रित होकर अपने पास ही रहते है एवं बाहरी दुनिया से कटे रहते है ,वैसे ही इस मुद्रा के लगाने पर  हम अपने पास आ जाते है l  उक्त मुद्रा लगाने पर नाभि के निचे ध्यान जाता है l इससे प्राण ऊर्जा, जीवन की विधुत –चुम्बकीय तरंगे इन अंगों को स्वस्थ बनती है ,जिससे इन अंगो में  होने वाले रोगों से  राहत मिलती है l प्रजनन एवं उत्सर्जन सम्बन्धी रोगों में आराम मिलता  है l महिलाओं का मासिक धर्म के दौरान  होने वाली पीड़ा में राहत मिलती है lशरीर के सारे विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते है lतनाव घटते है,स्वयं पर नियंत्रण बढ़ता है l इससे हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है l


Yoni Mudra Health Benefits

प्रस्तुत चित्रानुसार मुद्रा लगा कर  दस मिनट से ज्यादा बैठ स्थिर बैठे एवं अपनी श्वास के प्रति सजग होकर लय में लें l
योनि मुद्रा......... यौगिक दृष्टि से मनुष्य के अंदर कई प्रकार के रहस्यमयी शक्ति छिपी हूई है । इन शक्ति को शरीर के अन्तर छिपाकर रखने वाली मुद्रा का नाम ही ‘योनि मुद्रा’ है । तत योग के अनुसार केवल हाथों की उंगलियों से महाशक्ति भगवती की प्रसन्नता के लिए योनि मुद्रा प्रदर्शित करने की आज्ञा है । प्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव लंबी योग साधना के अंतर्गत तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना से भी दृष्टिगोचर होता है । इस मुद्रा के निरंतर अभ्यास से साधक की प्राण-अपान वायु को मिला देने वाली मूलबंध क्रिया को भी साथ करने से जो स्थिति बनती है, उसे ही योनि मुद्रा की संज्ञा दी गयी है । यह एक बड़ी चमत्कारी मुद्रा है ।

पद्मासन की स्थिति में बैठकर, दोनों हाथों की उंगलियों से योनि मुद्रा बनाकर और पूर्व मूलबंध की स्थिति में सम्यक् भाव से स्थित होकर प्राण-अपान को मिलाने की प्रबल भावना के साथ मूलाधार स्थान पर यौगिक संयम करने से कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं । ऋषिमुनियों के अनुसार जिस योगी को उपरोक्त स्थिति में योनि मुद्रा का लगातार अभ्यास करते-करते सिद्धि प्राप्त हो गई है ।


Yoni Mudra Steps

उसका शरीर साधनावस्था में भूमि से आसन सहित ऊपर अधर में स्थित हो जाता है । इस मुद्रा का प्रयोग साधना में शाक्ति को द्रवित किये जाने के लिये किया जाता है । भगवती की साधना में उन्हें प्रसन्न करने के लिए इस मुद्रा का प्रदर्शन उनके सम्मुख किया जाता है । पंचमकार साधना में मुद्रा का अति आवश्यक स्थान होता है । योग तन्त्र का पूरा आधार गुढ़ रहस्यमयी है । जिसको समझना बहूत कठीन है ।

इस के जितने गहराई में जाये उतनी ही उलझने सामने आती रहती है । जितना भी समज आये कम ही है । सदियों से साधक ने इस आधार को समझाने की कोशिश की है और अत्यधिक से अत्यधिक ज्ञान प्राप्त करने पर भी उसके सभी पक्षों की खोज नही कर पाये है । वह आधार है कुण्डलिनी शक्ति जागरण की । कुण्डलिनी के जितने भी पक्ष अब तक विविध साधकों, ऋषिमुनी ने सामने रखे है ।


Yoni Mudra Benefits In Telugu

वह मनुष्यों को उसकी शक्ति के परिचय के लिए पर्याप्त है । सामान्य रूप मे साधको के मध्य कुण्डलिनी का षट्चक्र जागरण ही प्रचलित है । लेकिन उच्चकोटि के योगियों का कथन है की सहस्त्रारजागरण तो कुण्डलिनी जागरण की शुरुआत मात्र है । उसके बाद ह्रदयचक्र, चित चक्र, मस्तिस्क चक्र, सूर्यचक्र जागरण जैसे कई चक्रों की अत्यधिक दुस्कर सिद्धिया है । जिन के बारे मे सामान्य मनुष्यों को भले ही ज्ञान न हो लेकिन इन एक एक चक्रों के जागरण के लिए उच्चकोटि के साधकों एवं ऋषिमुनी बर्षो तक साधना करते रहते है ।

इस प्रकार यह कभी न खत्म होने वाला एक अत्यधिक गुढ़ विषय है । इसी क्रम मे आज हमारे तंत्र के धरातल पे अलग अलग बहूत से विधान प्रचलित है । योग तन्त्र के मध्य कायाकल्प के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण विधान है । कायाकल्प और सौंदर्य का सही अर्थ क्या है ? यह मात्र काया को सुन्दर बनाने की कोई विधि मात्र नही है । यह आत्मा की निर्मलता से ले के पाप मुक्त हो के आनंद प्राप्ति की क्रिया है ।


Yoni Mudra In Hindi

अगर साधक आतंरिक चक्रों के दर्शन की प्रक्रिया कुण्डलिनी के वेग मार्ग से करता है । तब उसे मूलाधार से आगे बढ़ते ही एक त्रिकोण द्रष्टिगोचर होता है । जो की आतंरिक योनी है । मनुष्यका ह्रदय पक्ष और स्त्री भाव इस त्रिकोण पर निर्भर करता है । और उसके ऊपर मणिपुर चक्र के पास एक लिंग ठीक उस त्रिकोण अर्थात योनी के ऊपर स्थिर रहता है । जो की व्यक्ति के मस्तिष्क पक्ष और पुरुष भाव से सबंधित होता है ।

यह त्रिकोण और लिंग से एक पूर्ण शिवलिंग का निर्माण होता है । जिसे योग-तन्त्र मे आत्मलिंग कहा गया है । इस लिंग के दर्शन करना अत्यधिक सौभाग्य सूचक और सिद्धि प्रदाता है । शिवलिंग के अभिषेक के महत्व के बारे मे हर व्यक्ति जनता ही है । इसी क्रम मे साधक इस लिंग का भी अभिषेक करे तो आत्मलिंग से जो उर्जा व्याप्त होती है । वह पुरे शरीर मे फ़ैल कर आतंरिक शरीर का कायाकल्प कर देती है ।


Benefits Of Yoni Mudra

उसके बाद साधक निर्मल रहता है । उसके चेहरे पर और वाणी मे एक विशेष प्रभाव आ जाता है । साधक एक हर्षोल्लास और आनंद मे मग्न रहता है और कई सिद्धिया उसे स्वतः प्राप्त हो जाती है । योगतन्त्र मे इस दुर्लभ विधान की प्रक्रिया निम्न दी गयी है । यथा संभव इस अभ्यास को साधक ब्रम्ह मुहूर्त मे ही करे । अगर यह संभव न हो तो कोई ऐसे समय का चयन करे जब शान्ती हो और अभ्यास के मध्य कोई विघ्न ना आये ।

साधक पहले अपनी योग्यता से सोऽहं बीज के साथ अनुलोम विलोम की प्रक्रिया करे । उसके बाद भस्त्रिका करे । अनुभव मे आया है की जब साधक २ मिनट मे १२० बार पूर्ण भस्त्रिका करे तब उसे कुछ समय आँखे बांध करने पर कुण्डलिनी का आतंरिक मार्ग कुछ क्षणों तक दिखता है ।

इस समय मे साधक को "।। ॐ आत्मलिंगायै हूं ।।" का सतत जाप करते रहना चाहिए । नियमित रूप से जाप करते रहने से वह लिंग धीरे धीरे स्पष्ट दिखाई देने लगता है । जब वह पूर्ण रूप से दिखाई देने लग जाए तब आत्मलिंग के ऊपर अपनी कल्पना के योग्य "।। ॐ आत्मलिंगायै सिद्धिं फट ।।" मंत्र द्वारा अभिषेक करे । जिसे आँखों के मध्य हम बहार देखते है । चित के माध्यम से शरीर उसे अंदर देख सकता है ।


Benefit Of Yoni Mudra

चित, द्रष्टि के द्वारा पदार्थो का आतंरिक सर्जन करता है और उसे ही मस्तिक के माध्यम से बिम्ब का रूप समज कर हम बहार देखकर महसूस करते है । इस प्रक्रिया मे चित का सूक्ष्म सर्जन ही मूल सर्जन की भाव भूमि का निर्माण करता है । इस लिए अभिषेक करते वक्त चित मे से निकली हुयी अभिषेक की कल्पना सूक्ष्मजगत मे मूल पदार्थ की रचना करती ही है ।


जिससे साधक जो भी अभिषेक विधान की प्रक्रिया करता है वो साधक के लिए भले ही कल्पना हो । सूक्ष्म जगत मे उसका बराबर अस्तित्व होता ही है । अभिषेक का अभ्यास शुरू होते ही साधक का कायाकल्प भी शुरू हो जाता है । "लिंग" का सामान्य अर्थ "चिन्ह" होता है ।

इस अर्थ में लिंग पूजन, शिव के चिन्ह या प्रतीक के रूप में ही होता है । अब मानसपटल पे सवाल उठता है कि लिंग पूजन केवल शिव का ही क्यों होता है ? अन्य देवताओं का क्यों नहीं ? कारण यह है कि शिव को आदि शक्ति के रूप में स्वीकार किया गया है । जिसकी कोई आकृति नहीं है । इस रूप में शिव निराकार है । लिंग का अर्थ ओंकार ( ॐ ) बताया गया है । “प्रणव तस्य लिंग ” उस ब्रह्म का चिन्ह प्रणव, ओंकार है ।


What Is The Use Of Yoni Mudra

अतः "लिंग" का अर्थ शिव की जननेन्द्रिय से नहीं है । उनके पहचान चिह्न से है । जो अज्ञात तत्त्व का परिचय देता है । यह पुराण प्रधान प्रकृति को ही लिंग रूप मानता है । साधना काल के दौरान आपको कुछ आश्चर्य जनक अनुभव हो सकते हैं, पर इनसे न परेशान या बिचलित न हो , ये तो साधना सफलता के लक्षण हैं .

चेतावनी - सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ । बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

चेतावनी - सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


Yoni Hand Mudra Benefits

योनि मुद्रा के फायदे मानसिक शांति के लिए – Manshik shanti ke liye yoni mudra ke fayde in Hindi


आमतौर पर योग एवं आसन आध्यात्म से जुड़ा हुआ होता है जिसके कारण इसके फायदे बढ़ जाते हैं। माना जाता है कि रोजाना योनि मुद्रा का अभ्यास करने से व्यक्ति को मानसिक रुप से शांति मिलती है और परमात्मा से मिलन का रास्ता खुलता है। यह आसन करने से व्यक्ति खुद की आंतरिक कमियों एवं शक्तियों को पहचानने में सक्षम होता है जिसके कारण वह आध्यात्मिक रुप से बहुत शांत महसूस करता है। इसके अलावा उसके मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं और गुस्सा भी कम होता है।

तंत्रिका तंत्र के लिए योनि मुद्रा के फायदे – Yoni mudra benefits for nervous system in Hindi


वास्तव में योनि मुद्रा एक ऐसा आसन है जिसमें आंखों को बंद रखकर श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया की जाती है। इसकी वजह से व्यक्ति का तंत्रिता तंत्र मजबूत होता है और शरीर के अंदर जमा अनावश्यक पदार्थ बाहर निकलते हैं। यह आसान करने के बाद मांसपेशियों में जकड़न महसूस नहीं होती है और एक आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है एवं मन प्रसन्न रहता है।


Yoni Mudra Steps And Benefits


योनि मुद्रा के फायदे मेडिटेशन के लिए – Yoni mudra ke fayde Meditation ke liye in Hindi


आमतौर पर योनि मुद्रा को मेडिटेशन का एक रुप माना जाता है। योनि मुद्रा किसी भी चिंतन से कम नहीं है और इसके फायदे भी मेडिटेशन की तरह ही होते हैं। जो व्यक्ति नियमित रुप से योनि मुद्रा का अभ्यास करता है उसे आत्मकेंद्रित (focus ) होने में परेशानी नहीं होती है। विद्यार्थियों के लिए यह मुद्रा बहुत ही उपयोगी है। इसके अलावा जिन लोगों का काम में मन नहीं लगता है या भटकाव का अनुभव होता हैं उन्हें जरूर योनि मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।

योनि मुद्रा करने के फायदे ऊर्जा के लिए – Energy ke liye yoni mudra ke fayde in Hindi


माना जाता है कि योनि मुद्रा करने से शरीर का कायाकल्प होता है और व्यक्ति के अंदर एक नयी तरह की ऊर्जा का संचार होता है। इस मुद्रा में श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया बेहद अहम होती है और इसी क्रिया से व्यक्ति को फायदे भी होते हैं। यह मुद्रा उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है जो लोग एक्टिव नहीं होते हैं, सुस्ती का अनुभव करते हैं या फिर जल्दी थक जाते हैं। ऐसी स्थिति में योनि मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर ऊर्जा से भर जाता है।

प्रजनन के लिए योनी मुद्रा के फायदे – Yoni Mudra for fertility in Hindi



Yoni Mudra

कई बीमारियों के उपचार का समर्थन करने और शरीर, मन और आत्मा में सद्भाव लाने के लिए उनका उपयोग हजारों वर्षों से किया जाता रहा है। योनी मुद्रा- यह हाथ की यह स्थिति महिलाओं को एक सहज महिला ऊर्जा के संपर्क में लाने में मदद करती है। यह भी गर्भ और रचनात्मक शक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए जानी जाती है। हाथ की स्थिति वास्तव में योनी की तरह दिखती है। हाथों को एक साथ लाते हुए, बाकी उंगलियों का जुड़ाव करते हुए अंगूठे और पॉइंटर उंगलियों के टिप्स एक दूसरे को छूते हैं।
योनि मुद्रा योग करते समय रखें ये सावधानियां – Precautions For Yoni Mudra In Hindi

वैसे तो योग, आसन और मुद्राएं स्वास्थ्य एवं मन के लिए लाभकारी होती हैं लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इन मुद्राओं का अभ्यास डॉक्टर की सलाह लेकर करना चाहिए।

अगर आपको मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं तो डॉक्टर के परामर्श के बाद ही इस मुद्रा का अभ्यास करें।
अगर आपको रीढ़ की हड्डी में तकलीफ है तो योनि मुद्रा ना करें।
आपके घुटनों में चोट लगी हो और आप आराम से मोड़कर बैठ नहीं पा रहे हों तो योनि मुद्रा का अभ्यास ना करना ही बेहतर है।
इसके अलावा यदि आपकी कमर में तेज दर्द हो जिसकी वजह से आप बैठ नहीं पा रहे तो यह मुद्रा आपके लिए नहीं है।

Friday, February 28, 2020

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What is Covid-19 - the illness that started in Wuhan?

It is caused by a member of the coronavirus family that has never been encountered before. Like other coronaviruses, it has come from animals. Many of those initially infected either worked or frequently shopped in the Huanan seafood wholesale market in the centre of the Chinese city.

What are the symptoms this coronavirus causes?

The virus can cause pneumonia. Those who have fallen ill are reported to suffer coughs, fever and breathing difficulties. In severe cases there can be organ failure. As this is viral pneumonia, antibiotics are of no use. The antiviral drugs we have against flu will not work. Recovery depends on the strength of the immune system. Many of those who have died were already in poor health.

Should I go to the doctor if I have a cough?

In the UK, the medical advice is that if you have recently travelled from areas affected by coronavirus, you should:
  • stay indoors and avoid contact with other people as you would with the flu
  • call NHS 111 to inform them of your recent travel to the area
More NHS advice on what to do if you think you have been exposed to the virus can be found here, and the full travel advice to UK nationals is available here.

Coronaviruses are types of viruses that typically affect the respiratory tracts of birds and mammals, including humans. Doctors associate them with the common cold, bronchitis, pneumonia, and severe acute respiratory syndrome (SARS), and they can also affect the gut.
These viruses are typically responsible for common colds more than serious diseases. However, coronaviruses are also behind some more severe outbreaks.
Over the last 70 years, scientists have found that coronaviruses can infect mice, rats, dogs, cats, turkeys, horses, pigs, and cattle. Sometimes, these animals can transmit coronaviruses to humans.
Is the virus being transmitted from one person to another? 
China’s national health commission has confirmed human-to-human transmission, and there have been such transmissions elsewhere.

How many people have been affected?
As of 25 February, the outbreak has affected 80,000 people globally. In mainland China there have been 2,663 deaths among 77,658 cases, mostly in the central province of Hubei. More than 12,000 people affected in China have already recovered.


Coronavirus map: how Covid-19 is spreading across the world

The coronavirus has spread to at least other 30 other countries. The most badly affected include Japan, with 850 cases, including 691 from a cruise ship docked in Yokohama, and four deaths. Italy has recorded 229 cases and seven deaths, while South Korea has recorded 893 cases and eight deaths. There have also been deaths in Hong Kong, Taiwan, France, Iran and the Philippines.

There have been 15 recorded cases and no fatalities to date in the UK.

Why is this worse than normal influenza, and how worried are the experts?
We don’t yet know how dangerous the new coronavirus is, and we won’t know until more data comes in. The mortality rate is around 2% in the epicentre of the outbreak, Hubei province, and less than that elsewhere. For comparison, seasonal flu typically has a mortality rate below 1% and is thought to cause about 400,000 deaths each year globally. Sars had a death rate of more than 10%.

Another key unknown is how contagious the coronavirus is. A crucial difference is that unlike flu, there is no vaccine for the new coronavirus, which means it is more difficult for vulnerable members of the population – elderly people or those with existing respiratory or immune problems – to protect themselves. Hand-washing and avoiding other people if you feel unwell are important. One sensible step is to get the flu vaccine, which will reduce the burden on health services if the outbreak turns into a wider epidemic.

The best way to prevent the spread of this virus is to avoid or limit contact with people who are showing symptoms of the virus and have traveled to China in the past 14 days.
The next best thing you can do is practice good hygiene to prevent bacteria and viruses from spreading.
  • Wash your hands frequently for at least 20 seconds at a time with warm water and soap.
  • Don’t touch your face, eyes, nose, or mouth when your hands are dirty.
  • Don’t go out if you’re feeling sick or have any cold or flu symptoms.
  • Cover your mouth with the inside of your elbow whenever you sneeze or cough. Throw away any tissues you use to blow your nose or sneeze right away.
  • Keep any objects you touch a lot clean. Use disinfectants on objects like phones, computers, utensils, dishware, and door handles.
Have there been other coronaviruses?
Severe acute respiratory syndrome (Sars) and Middle Eastern respiratory syndrome (Mers) are both caused by coronaviruses that came from animals. In 2002, Sars spread virtually unchecked to 37 countries, causing global panic, infecting more than 8,000 people and killing more than 750. Mers appears to be less easily passed from human to human, but has greater lethality, killing 35% of about 2,500 people who have been infected.

Is the outbreak a pandemic and should we panic?
No. A pandemic, in WHO terms, is “the worldwide spread of a disease”. The spread of the virus outside China is worrying but not an unexpected development. The WHO has declared the outbreak to be a public health emergency of international concern. The key issues are how transmissible this new coronavirus is between people, and what proportion become severely ill and end up in hospital. Often viruses that spread easily tend to have a milder impact. Generally, the coronavirus appears to be hitting older people hardest, with few cases in children.

Researchers first isolated a coronavirus in 1937. They found a coronavirus responsible for an infectious bronchitis virus in birds that had the ability to devastate poultry stocks.
Scientists first found evidence of human coronaviruses (HCoV) in the 1960s in the noses of people with the common cold. Two human coronaviruses are responsible for a large proportion of common colds: OC43 and 229E.
The name “coronavirus” comes from the crown-like projections on their surfaces. “Corona” in Latin means “halo” or “crown.”
Among humans, coronavirus infections most often occur during the winter months and early spring. People regularly become ill with a cold due to a coronavirus and may catch the same one about 4 months later.
This is because coronavirus antibodies do not last for a long time. Also, the antibodies for one strain of coronavirus may be ineffective against another one.

Symptoms

Cold- or flu-like symptoms usually set in from 2–4 days after a coronavirus infection and are typically mild. However, symptoms vary from person-to-person, and some forms of the virus can be fatal.
Symptoms include:
  • sneezing
  • runny nose
  • fatigue
  • cough
  • fever in rare cases
  • sore throat
  • exacerbated asthma
Scientists cannot easily cultivate human coronaviruses in the laboratory unlike the rhinovirus, which is another cause of the common cold. This makes it difficult to gauge the impact of the coronavirus on national economies and public health.
There is no cure, so treatments include self-care and over-the-counter (OTC) medication. People can take several steps, including:
  • resting and avoiding overexertion
  • drinking enough water
  • avoiding smoking and smoky areas
  • taking acetaminophen, ibuprofen, or naproxen for pain and fever
  • using a clean humidifier or cool mist vaporizer
A doctor can diagnose the virus responsible by taking a sample of respiratory fluids, such as mucus from the nose, or blood.

Coronavirus (CoV) is a large family of viruses that causes illness. It ranges from the common cold to more severe diseases like Middle East Respiratory Syndrome (MERS-CoV) and Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS-CoV). The novel coronavirus is a new strain of virus that has not been identified in human so far.
WHO is working closely with global experts, governments, and other health organisations to provide advice to the countries about precautionaries and preventive measures.
We can’t ignore the fact that the outbreak of COVID-19 in China is expected to have a significant impact on the economy globally including economic slowdown, trade, supply chain disruption, commodities, and logistics.
The GDP of China is expected to decelerate by 1-1.25 percentage points over 2020 because of less production. In China, various cities and provinces are in lockdown mode. China accounts for approximately 19.71% of global GDP at purchasing power parity and obviously it will impact the economy globally. Therefore, it is estimated that the global GDP will suffer an impact of around – 0.5%.
In terms of trade, China is the world’s largest exporter and second-largest importer. It accounts for 13% of world exports and 11% of world imports. The lockdown will affect around 500 million people in the country that will deeply impact its consumption of goods.
Impact of Coronavirus on the Indian Economy
Up to a large extent, it will impact the Indian industry. In imports, the dependence of India on China is huge. Of the top 20 products (at the two-digit of HS Code) that India imports from the world, China accounts for a significant share in most of them.
India’s total electronic imports account for 45% of China. Around one-third of machinery and almost two-fifths of organic chemicals that India purchases from the world come from China? For automotive parts and fertilisers China’s share in India’s import is more than 25%. Around 65 to 70% of active pharmaceutical ingredients and around 90% of certain mobile phones come from China to India.
Therefore, we can say that due to the current outbreak of coronavirus in China, the import dependence on China will have a significant impact on the Indian industry.
China share's
GK Questions and Answers on Coronavirus (COVID-19)
In terms of export, China is India’s 3rd largest export partner and accounts for around 5% share. The impact may result in the following sectors namely organic chemicals, plastics, fish products, cotton, ores, etc.
We also can’t ignore that most of the Indian companies are located in the eastern part of China. In China, about 72% of companies in India are located in cities like Shanghai, Beijing, provinces of Guangdong, Jiangsu, and Shandong. In various sectors, these companies work including Industrial manufacturing, manufacturing services, IT and BPO, Logistics, Chemicals, Airlines, and tourism.
It has been seen that some sectors of India have been impacted by the outbreak of coronavirus in China including shipping, pharmaceuticals, automobiles, mobiles, electronics, textiles, etc. Also, supply chain may affect some disruptions associates with industries and markets. Overall, the impact of coronavirus in the industry is moderate.
According to CLSA report, pharma, chemicals, and electronics businesses may face supply-chain issues and prices will go up by 10 percent. The report also says that India could also be a beneficiary of positive flows since it appears to be the least-impacted market. Some commodities like metals, upstream and downstream oil companies, could witness the impact of lower global demand impacting commodity prices.
Let us have a look at the sector-wise impact on Indian industry
Chemical Industry: Some chemical plants have been shut down in China. So there will be restrictions on shipments/logistics. It was found that 20% of the production has been impacted due to the disruption in raw material supply. China is a major supplier of Indigo that is required for denim. Business in India is likely to get affected so people securing their supplies. However, it is an opportunity. US and EU will try and diversify their markets. Some of the business can be diverted to India which can also be taken as an advantage.
Shipping Industry: Coronavirus outbreak has impacted the business of cargo movement service providers. As per the sources, per day per vessel has declined by more than 75-80% in dry bulk trade.
Auto Industry: Its impact on Indian companies will vary and depend upon the extent of the business with China. China’s business no doubt is affected. However, current levels of the inventory seem to be sufficient for the Indian industry. If the shutdown in China continues then it is expected to result in an 8-10% contraction of Indian auto manufacturing in 2020.
Pharmaceuticals Industry: Despite being one of the top formulations of drug exporters in the world, the pharma industry of India relies heavily on import as of bulk drugs. Due to the coronavirus outbreak, it will also be impacted.
Textiles Industry: Due to coronavirus outbreak, several garments/textile factories in China have halted operations that in turn affecting the exports of fabric, yarn and other raw materials from India.
Solar Power Sector: Indian developers may face some shortfall of raw materials needed in solar panels/cells and limited stocks from China.
Electronics Industry: The major supplier is China in electronics being a final product or raw material used in the electronic industry. India’s electronic industry may face supply disruptions, production, reduction impact on product prices due to heavy dependence on electronics component supply directly or indirectly and local manufacturing.
IT Industry: The New Year holidays in China has been extended due to coronavirus outbreak that adversely impacted the revenue and growth of Indian IT companies.
Tourism and Aviation: Due to the coronavirus outbreak, the inflow of tourists from China and from other East Asian regions to India will lose that will impact the tourism sector and revenue.
So, now you may have come to know about coronavirus. An outbreak of COVID-19 impacted the whole world and has been felt across industries. World’s second-largest economy China became standstill. Its outbreak is declared as a national emergency by the World Health Organisation. In India, the impact may felt through supply chain disruptions from China and also as regional players, who imports from China.

Friday, February 14, 2020

Hair Loss Prevention केस उगवण्यासाठी | केस गळणे | केस पांढरे उपाय |केस वाढण्याची माहिती |

केस गळण्यावर घरगुती उपाय | Causes Of Hair Loss In Men

Causes Of Hair Loss In Teenage Males

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केस गळणे उपाय औषध टक्कल पडणे थांबविण्यासाठी कारण बंद होण्यासाठी सांगा थांबवणे कारणे व वर घरगुती थांबणे थांबवण्यासाठी कमी करण्यासाठी विषयी माहिती उपचार यावर थांबवण्याचे case galane aur upay kes galati ayurvedic galne gharguti hindi in marathi karan kami karne का ka karnyache डिझाईन galti ke meaning english न n sanga thabne tel thambne thambane thamne upchar yavar var खूप गळतात गळू नये करण्याचे गळण्याचे याचे त्याच्यावर त्याच्या साठी गळायचे दाखवा थांबायचे त्यासाठी गळण्याची काय यासाठी गळत आहे घरेलू प्रयत्न.


केस गळती
केसातील कोंडा उपाय
केसांची काळजी कशी घ्याल

 केस उगवण्यासाठी आम्ही तुम्हाला एक घरगुती उपाय सूचवितो. या उपायमुळे तुम्हाच्या केसांमधला कोंडा दूर होण्यास मदत होईल. त्यासाठी मेथीचे दाणे रात्रभर पाण्यात भिजत ठेवा. सकाळी त्याची पेस्ट करून घ्या. मग तुम्ही ही पेस्ट आणि दही एकत्र करून 
  केसातील कोंडा उपाय


क्रोध, शोक, शारीरिक व मानसिक श्रम यांच्या अतिरेकाने जेव्हा शरीरातील उष्णता डोक्‍यात पोचते, तेव्हा केस अकाली पांढरे होण्यास सुरवात होते. रसधातूतील बिघाडामुळे व पित्तप्रकोपामुळेही केस पांढरे होतात. केस गळणे- याचीही कारणे वरीलप्रमाणेच असतात. हवामानातील व पाण्यातील बदल, केसांची स्वच्छता न राखणे, हॉर्मोन्सचे असंतुलन, उष्णता वाढणे, रासायनिक द्रव्यांच्या वापराने वगैरे कारणांनी केस गळू शकतात.


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केसांचे आरोग्य राखणे, सौंदर्य वाढवणे याला प्राचीन काळापासून खूप महत्त्व आहे. आयुर्वेदातच नव्हे, तर वेदातही, विशेषतः अथर्ववेदात केशबृंहण, केशवर्धन करणारी औषधे वगैरेंचे संदर्भ आढळतात.
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केशप्रसाधन म्हणजे केसांच्या विविध रचना करून सौंदर्यामध्ये भर घालणे हीसुद्धा प्राचीन काळापासून आजपर्यंत चालत आलेली गोष्ट आहे.
"व्यक्‍ती तितक्‍या प्रकृती' या नियमानुसार प्रत्येक व्यक्‍तीचे केस केस गळणे वेगवेगळे असतात. केसांची जाडी, लांबी, पोतसुद्धा प्रकृतीसापेक्ष असते; मात्र प्रकृतीला साजेसे केस आणि त्याहून महत्त्वाचे म्हणजे निरोगी केस असण्यासाठी प्रयत्न निश्‍चित करता येतात. केसांचा संबंध असतो हाडांशी.

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"अस्थ्नोः मलः' म्हणजे केस अस्थिधातूचा मलभाग असतात, असे आयुर्वेदात सांगितलेले आहे. अस्थिधातूमध्ये बिघाड झाला की त्यामुळे केसामध्ये दोष निर्माण होतो, असेही चरकसंहितेत सांगितलेले आहे. याखेरीज रसधातूतील बिघाडाचा केसांवर विपरीत परिणाम होतो. तसेच पित्तदोष प्रमाणापेक्षा अधिक वाढणे, हेसुद्धा केसांसाठी हानिकारक असते. यावरून एक गोष्ट लक्षात येऊ शकते, की केसांच्या आरोग्यासाठी, केसांच्या सौंदर्यासाठी बाह्य उपचारांबरोबर आतून हाडे, रसधातू व पित्त निरोगी राहण्यासाठी प्रयत्न करणे आवश्‍यक असते.

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केसांच्या आरोग्याचा विचार करताना एक महत्त्वाची गोष्ट लक्षात घ्यायला हवी, की केस धुण्यासाठी, केशरचना करण्यासाठी किंवा केसांचे कंडिशनिंग वगैरे करण्यासाठी नैसर्गिक द्रव्यांचाच वापर करायला हवा. अनैसर्गिक, रासायनिक द्रव्यांपासून बनविलेल्या असणाऱ्या उत्पादनांमुळे तात्पुरता फायदा झाल्यासारखा वाटला तरी त्यांचे दुष्परिणाम अतिशय घातक ठरू शकतात. याउलट नैसर्गिक द्रव्यांचा वापर केला असता केसांचे सौंदर्य आणि आरोग्य दोन्ही सुरक्षित राहतात, बरोबरीने रसायनांमुळे होणाऱ्या प्रदूषणालाही प्रतिबंध होऊ शकतो.
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केसांच्या सामान्य तक्रारी व त्यावरचे उपचार यांची माहिती आपण घेणार आहोतच. तत्पूर्वी दैनंदिन जीवनात केसांची काळजी कशी घ्यावी याविषयी थोडक्‍यात पुढीलप्रमाणे सांगता येईल.

* त्यामुळे केस पांढरे उपाय उत्साह वाढायला मदत मिळते, केसांमधील गुंता नीट काढल्यामुळे विचारातही सुसूत्रता येण्यास मदत मिळते.
* डोक्‍यावरून अति गरम पाणी न घेणे.
* उन्हात जाताना डोक्‍यावर टोपी, स्कार्फचे संरक्षण घेणे.
* केस नीट विंचरण्यामुळे केसांची मुळे मजबूत होण्यास मदत मिळते, तसेच केसांच्या मुळांशी असणाऱ्या तैलग्रंथींना उत्तेजना मिळाल्याने केसांचे पोषण होते.
* केस विंचरण्यापूर्वी केसांच्या मुळाशी व केसांनाही थोडे तेल लावणे चांगले असते, त्यामुळे गुंता निघायला मदत मिळते व केस अकारण तुटत नाहीत.
* आठवड्यातून दोनदा तरी केस धुणे उत्तम होय. केस धुण्यासाठी शिकेकाई, आवळा, रिठा, नागरमोथा, संत्र्याची साल यांसारख्या द्रव्यांच्या मिश्रणाचा किंवा तयार "संतुलन सुकेशा' मिश्रणाचा वापर करता येतो. यामुळे केस, डोके स्वच्छ होतेच, पण केस आवश्‍यकतेपेक्षा कोरडे होणे टळते.
* डोक्‍याला आणि केसांना नियमित तेल लावणेसुद्धा केसांच्या आरोग्यासाठी व सौंदर्यासाठी महत्त्वाचे असते. केस चिकट होतील या कारणाने बऱ्याचदा तेल लावणे टाळले जाते; पण शास्त्रोक्‍त पद्धतीने बनविलेले औषधी तेल वापरले तर ते लावण्याने केस तेलकट होत नाहीत. उलट केसांचा अनावश्‍यक कोरडेपणा दूूर होऊन केस मऊ, रेशमी व्हायला मदत मिळते. असे "संतुलन व्हिलेज तेला'सारखे आतपर्यंत जिरणारे तेल लावलेले असले की नंतर केस धुण्यासाठीसुद्धा नैसर्गिक द्रव्ये वापरता येतात.
* केस वाढण्याची माहिती : केस धुतल्यावर लगेच न विंचरणे चांगले असते, कारण केसांची मुळे नाजूक झालेली असतात, तसेच केस कोरडे होण्यासाठी गरम झोत येणारा ड्रायर वापरणे तितकेसे चांगले नाही. यामुळे केस

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 केस वाढीसाठी उपाय | केसांची माहिती केसांची वाढ




कोरडे होण्याची प्रवृत्ती वाढते.

केसांचे कंडिशनिंग होण्यासाठी घरच्या घरी साधे व प्रभावी उपाय करता येतात.
* केस धुण्याअगोदर केसांना 20-25 मिनिटांसाठी कोरफडीचा ताजा गर लावून ठेवणे.
* जास्वंदीची फुले, कळ्या व कोवळी पाने बारीक वाटून बनविलेला लेप 20-25 मिनिटांसाठी लावून मग केस धुणे.
*  केस वाढीसाठी उपाय  ताजी पाने आणि आवळा यांच्यापासून तयार केलेला लेप किंवा 100 टक्के शुद्ध मेंदीचे आणि आवळ्याचे चूर्ण पाण्यात मिसळून तयार केलेला लेप केसांना लावून मग केस धुणे.
* नारळाचे दूध केसांना लावून मग केस धुणे.
याप्रकारे सुरवातीपासून केसांची नीट काळजी घेतली, केसांची निगा राखण्यासाठी नैसर्गिक द्रव्यांचाच वापर केला आणि अस्थी व रसधातूचे पोषण व पित्तसंतुलन याकडेही लक्ष ठेवले, तर केसांचे आरोग्य व सौंदर्य नीट राहील.
केसांच्या सामान्य तक्रारी व त्यावरचे उपाय-
- केसांमध्ये कोंडा होणे. आयुर्वेदात याला दारुण असे म्हणतात.
दारुणा कण्डुरा रुक्षा केशभूमिः प्रपाठ्यते । कफमारुतकोपेन विद्यात्‌ दारुणकं तु तम्‌ ।।...माधवनिदान
कफ आणि वातदोषाच्या प्रकोपामुळे डोक्‍यावर कोंडा होतो. त्या ठिकाणची त्वचा अतिशय कोरडी, खरखरीत होते, खाज सुटते. कधी कधी यामध्ये पित्त व रक्‍तप्रकोपाचाही सहभाग असू शकतो. नावाप्रमाणेच कोंडा "दारुण' म्हणजे कष्टप्रद, बरा होण्यास कठीण असतो.

कोंड्यासाठी घरच्या घरी करता येण्याजोगे उपाय पुढीलप्रमाणे होत-
*केसांची माहिती डोके धुण्याअगोदर लिंबाची फोड डोक्‍यावर हलक्‍या हाताने चोळणे व 20-25 मिनिटांनंतर शिकेकाई, रिठा, आवळा वगैरे द्रव्यांनी केस धुणे.
* खसखस दुधात भिजवून तयार केलेला लेप डोक्‍याला लावून ठेवण्यानेही कोंडा कमी व्हायला मदत मिळते.
* मेथीच्या बियांचे चूर्ण पाण्यात भिजवून उमलून आले की त्याचा डोक्‍यावर लेप करण्यानेही कोंडा कमी होऊ शकतो.

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* केसांची वाढ  केस अकाली पांढरे होणे.. याला आयुर्वेदात पलित असे म्हणतात,
क्रोधशोकश्रमकृतः शरीरोष्मा शिरोगतः । पित्तं च केशान्‌ पचति पलितं तेन जायते ।।...माधवनिदान
क्रोध, शोक, शारीरिक व मानसिक श्रम यांच्या अतिरेकाने जेव्हा शरीरातील उष्णता डोक्‍यात पोचते, तेव्हा केस अकाली पांढरे होण्यास सुरुवात होते. रसधातूतील बिघाडामुळे व पित्तप्रकोपामुळेही केस पांढरे होतात. केस गळणे- याचीही कारणे वरीलप्रमाणेच असतात. हवामानातील व पाण्यातील बदल, केसांची स्वच्छता न राखणे, हॉर्मोन्सचे असंतुलन, उष्णता वाढणे, रासायनिक द्रव्यांच्या वापराने केसांना इजा पोचणे वगैरे कारणांनी केस गळू शकतात.
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Which Vitamin Deficiency Causes Hair Loss
केस गळणे थांबावे व केस पांढरे होऊ नयेत यासाठी पुढील उपायांची योजना करता येते.
* आवळा, जटामांसी अनंतमूळ, ब्राह्मी वगैरे केश्‍य म्हणजे केसांना पोषक अशा द्रव्यांपासून बनविलेले हेअर पॅक केस (उदा. "सॅन वात हेअर पॅक', "सॅन पित्त हेअर पॅक') धुण्याआधी अर्ध्या तासासाठी लावून ठेवणे.
* झोपण्यापूर्वी शीतल द्रव्यांचा संस्कार केलेले "नस्यसॅन घृता'सारख्या औषधी तुपाचे 2-3 थेंब नाकात टाकणे.
* नियमित पादाभ्यंग करून शरीरातील उष्णतेचे, पित्ताचे संतुलन करणे.
* दूध, खारीक, डिंकाचे लाडू, खसखस, प्रकृतीनुरूप फळांचे रस, बदाम अशा रसधातू, अस्थिधातूला पोषक गोष्टींचा रोजच्या आहारात समावेश करणे.
* "सॅन रोझ',"मॅरोसॅन', "कॅल्सिसॅन', "हेअरसॅन' यासारख्या रसधातू, अस्थिधातूपोषक रसायनांचे सेवन करणे.

केस गळणे ही सौंदर्य बिघडविणारी सर्वात मोठी समस्या आहे. केस गळणे थांबवून ते पुन्हा परत आणण्याचेही काही उपाय आहेत. केसांचे आरोग्य हे बऱ्याच गोष्टीवर अवलंबून असते त्यामुळे फक्त तेल लावून केस गळणे थांबवणे अवघड आहे. पण जर तुम्ही


केस काळे करण्यासाठी आयुर्वेदिक उपाय!  कमी वयात केस पांढरे होणे म्हणजे चिर. घरगुती औषध उपचार's  . 'वनस्पती, फळ संसर्गरोगांपासून बचाव ...हेयरस्टाइल या बालों का गलत रखरखाव-
हमारे सिर में बालों के 100,000 रेशे होते हैं और एक दिन में 50 से 100 रेशे टूटना बहुत सामान्य माना जाता है। लेकिन जब इससे अधिक बाल टूटने लगें तो इससे गंजापन हो सकता है और आपको इसके लिए कुछ करने की ज़रुरत है। कई तरह के पर्यावरणीय प्रभाव, उम्र बढ़ने, बहुत अधिक तनाव, अत्यधिक धूम्रपान, पोषक तत्वों की कमी, हार्मोनल असंतुलन, आनुवांशिक कारक, खोपड़ी में संक्रमण, गलत या रासायनिक समृद्ध बाल उत्पादों, कुछ दवाओं और थायराइड विकार, स्व-प्रतिरक्षित बीमारियां, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओ), लोहे की कमी से एनीमिया, और पुरानी बीमारियां आदि बालों के झड़ने के कारक हो सकते हैं।
घर में आसानी से उपलब्ध सामग्री से भी बालों को झड़ने से रोकने के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां बालों को झड़ने से रोकने के लिए शीर्ष 5 घरेलू उपचार बताए जा रहे हैं।
1. बालों की तेल मालिश -अपने बालों को खोने का नुकसान कम करने के लिए जो पहला कदम आप उठा सकते हैं वह है तेल के साथ अपने सिर की मालिश करना। बालों और सिर की उचित मालिश करने से बालों के रोम में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और आपके बालों की जड़ों की शक्ति में वृद्धि होती है। यह आपको आराम पहुंचाने और तनाव की भावनाओं को कम करने में मदद भी करेगा।
आप बालों के लिए नारियल या बादाम का तेल, जैतून का तेल, अरंडी का तेल, आंवला तेल, या अन्य तेल का उपयोग कर सकते हैं। बेहतर और तेज़ परिणाम के लिए रोज़मैरी एसेंशियल ऑइल की कुछ बूंदें जोड़ें।
• अपनी उंगलियों के साथ हल्का दबाव देकर बाल और खोपड़ी पर ऊपर बताये तेलों में से किसी एक से अपने बालों में मालिश करें। यह सप्ताह में कम से कम एक बार करें।
ऑइली स्किन से छुटकारा पाने के 5 आसान उपाय
2. आंवला -
बालों के प्राकृतिक और तेज़ी से विकास के लिए, आप आंवले का भी उपयोग कर सकते हैं। आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है, जिसकी शरीर में कमी बालों को गिरने का एक कारण हो सकती है।
3. मेथी -
मेथी बालों के झड़ने के उपचार में बहुत प्रभावी है। मेथी के बीज में हार्मोन अंटेसीडेंट होते हैं जो बालों के विकास को बढ़ाने और बालों के रोम के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं। इसमें प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड भी होता है जो बालों के विकास को प्रोत्साहित करता है।
4. प्याज का रस 
प्याज के रस में उच्च मात्रा में सल्फर कंटेंट होता है, जो बालों के रोम के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, बालों के रोम का पुनर्निर्माण करने और सूजन को कम करने में मदद करता है जिसके कारण बालों का झड़ना कम हो जाता है। प्याज के रस में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो बालों के झड़ने का कारण बन सकने वाले कीटाणुओं और परजीवियों को मारने में मदद करता है, और खोपड़ी संक्रमण का उपचार करता है।
2002 में त्वचा विज्ञान के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में, जिन अध्ययन प्रतिभागियों की खोपड़ी पर प्याज का रस लगाया गया उनमें लगभग 74 प्रतिशत ने बालों के महत्वपूर्ण पुनर्विकास का अनुभव किया।
5. एलोवेरा -एलोवेरा में एंज़ाइम होते हैं जो बालों के स्वस्थ विकास को सीधे बढ़ावा देने में शामिल होते हैं। इसके अलावा, अपने एल्कलाइन गुण के कारण ये बालों के पीएच को एक सही स्तर पर लाने में मदद कर सकते हैं और बाल विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। 
एलोवेरा के नियमित उपयोग से आप खोपड़ी की खुजली को दूर कर सकते है, खोपड़ी की लालिमा और सूजन को कम कर सकते हैं, बालों की शक्ति और चमक बढ़ा सकते हैं और रूसी को भी कम कर सकते हैं। एलो वेरा जेल और रस दोनों ही इस काम में प्रभावी हैं।कई बार लोग लगातार गलत हेयरस्टाइल की वजह से अपने बाल खोने लगते हैं. कुछ लोग बालों को रबर बैंड से कसकर बांधते हैं. बहुत ऊपर से चोटी बनाना या पोनीटेल बनाने से भी बाल टूटने लगते हैं. इसके अलावा डाई, ब्लीच, स्ट्रेटनर्स या परमानेंट वेव सॉल्यूशन के इस्तेमाल से भी बाल झड़ना शुरू हो सकता है. इन कैमिकल से जितना ज्यादा नुकसान होता है, उसके आधार पर हेयर लॉस परमानेंट होता जाता है.
हार्मोन असंतुलन-
महिलाओं में बर्थ कंट्रोल पिल्स, प्रेग्नेंसी, बच्चे को जन्म, मेनोपॉज की वजह से हार्मोन में आए बदलाव की वजह से भी बाल टूट सकते हैं.
बीमारी या सर्जरी-
किसी बीमारी या सर्जरी से हुए तनाव की वजह से भी कुछ समय के लिए बालों के उगने की प्रक्रिया कुछ समय के लिए रुक सकती है. थॉयराइट डिसऑर्डर, सिफलिस, आयरन की कमी या इन्फेक्शन की वजह से भी बाल झड़ सकते हैं.
दवाइयां या विटामिन्स-
कैंसर कीमियोथेरेपी में शरीर की सभी तेजी से बढ़ रही कोशिकाओं को मारने की कोशिश की जाती है और इसी प्रक्रिया में बालों की जड़ों पर भी हमला होता है. हेयर लॉस के लिए यह एक बड़ी वजह होती है. कई बार कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट की वजह से भी बाल झड़ना शुरू हो सकता है. विटामिन ए की अधिकता की वजह से भी बाल टूट सकते हैं.
पोषक तत्वों की कमी-
ज्यादा डाइटिंग या खाने में पोषक तत्वों की कमी से बाल झड़ सकते हैं. प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की कमी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ बालों की ग्रोथ रुकना स्वाभाविक है.
महिलाएं सामान्यत: पूरी तरह से गंजी नहीं होती हैं. महिलाओं में ज्यादातर सिर के आगे के हिस्से और कानों के पास बाल ज्यादा झड़ते हैं. वहीं पुरुषों में माथे के पास ज्यादा बाल झड़ते हैं.

बाल झड़ते जाना किसी को भी परेशान करने के लिए काफी है. लोगों को यह डर सताने लगता है कि बाल झड़ने की वजह से वह धीरे-धीरे कहीं गंजे ना हो जाएं. लेकिन हर बार बाल टूटने पर भी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. अमेरिकन हेयर लॉस एसोसिएशन के मुताबिक, सामान्य बाल बढ़ने के सायकल में रोज हर किसी के करीब 100 बाल टूटते हैं हालांकि अगर ज्यादा तेजी से बाल टूटने लगे तो यह तनाव की बात हो सकती है.
अधिकतर लोगों के बाल हर महीने आधा इंच बढ़ जाते हैं. किसी भी वक्त पर आपके 90 फीसदी बाल बढ़ रहे होते हैं जबकि 10 फीसदी बाल निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहते हैं. दो या तीन महीनों बाद ये 10 फीसदी बाल टूट जाते हैं और इनकी जगह पर नए बाल उगना शुरू हो जाते हैं. दूसरी तरफ, दूसरे फॉलिकल्स निष्क्रिय पड़ जाते हैं.
बाल झड़ना हेयर लॉस से अलग है. जब कोई बाल जड़ से गिर जाता है और दोबारा नहीं उगता है तो उसे हेयर लॉस कहते हैं. तनावपूर्ण स्थितियों में अक्सर लोगों के बाल टूटते हैं.
न्यू यॉर्क में लेनॉक्स हिल हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजिस्ट डोरि सडे कहते हैं, 'लेकिन फिर भी आपको बुरा महसूस होता है क्योंकि बाल बढ़ाने में वक्त लगता है. यह भले ही हेयर लॉस की तरह लगता है लेकिन हेयर लॉस नहीं होता है.'
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, हेयर लॉस के लिए एलोप्सिया एक मेडिकल टर्म है जिसमें केवल स्कैल्प पर ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर व्यक्ति अपने बाल खोने लगता है, हालांकि गंजेपन के लिए अधिकतर आनुवांशिकी वजहें होती हैं.