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Saturday, January 18, 2020

Haemophilia हीमोफीलिया की बीमारी के लक्षण / कारण

हीमोफीलिया की बीमारी के लक्षण  / कारण



हीमोफीलिया की कारण

एक्सीडेंट 

 हीमोफिलिया एक आनुवांशिक बीमारी है, ऐसे में यदि इस तरह के लोगों का एक्सीडेंट हो जाए, तो यह उनकी जिंदगी के लिए घातक भी हो सकता है, क्योंकि एक्सीडेंट में आई चोट के बाद इन लोगों में खून के बहाव को रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है।

 इन लोगों में थक्के जमने का कारक आठवीं (हीमोफिलिया ए) या IX (हीमोफिलिया बी) नहीं होता है। इसीलिए अगर यह बीमारी परिवार के किसी भी सदस्य को है तो उसे बहुत सावधानी से रहना चाइये। इसीलिए आज हम इस आर्टिकल के जरिये यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह बीमारी इतनी खतरनाक क्यों हैं?

कोई इलाज नहीं

 घरेलू उपचार ? यह बीमारी इसलिए खतरनाक है क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी को सिर्फ एंटी हेमोफिलिक (एएचएफ) से नियंत्रण में रखा जा सकता हैं, जो कि बहुत महंगी होती हैं और कुछ ही जगहों पर मिलती है। यही कारण हैं कि इस बीमारी के चलते कुछ लोगों की मौत बचपन में ही हो जाती हैं। आइये जानते हैं हीमोफिलिया के लक्षणों के बारे में। जाने क्या है

 Haemophilia आनुवंशिक बीमारी

आनुवंशिक बीमारी 

हीमोफिलिया एक आनुवांशिकी बीमारी हैं। जो माँ बाप से बच्चों में होती हैं। हीमोफिलिया की बीमारी खून में थक्के ना जम पाने की वजह से होती हैं। जो अधिकतर पुरुषों में देखने को मिलती है। 2. अक्वाइअर्ड हामोफिलिया अक्वाइअर्ड हामोफिलिया के रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली एक तरह का आठवा एंटीबॉडी बनता है जिससे खून के थक्के जमना बंद हो जाते हैं और चोट लगने पर खून बहना बंद नहीं होता है। अक्वाइअर्ड हामोफिलिया महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित करता है।

  आयुर्वेदिक इलाज  

हीमोफिलिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से होने वाले बच्चे में भी जा सकती है। गुणसूत्र इस बीमारी की वाहक (आगे भेजने वाली) होते हैं, और यह बीमारी पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती है। जब कोई व्यक्ति हीमोफीलिया से पीड़ित होता है, और उन्हें थोड़ी बहुत भी चोट लग जाती है, तो उनका खून बहना रुकता नहीं है, क्योंकि हीमोफिलिया से पीड़ित लोगों में चोट लगने पर रक्त के पर्याप्त थक्के नहीं जमते हैं।


 नाक से अधिक खून 

हेमोफिलिया बीमारी का पहला लक्षण है नाक से अधिक खून आना। अगर किसी व्यक्ति को बेवजह नाक से बहुत खून आ रहा हो तो उसे हेमोफिलिया हो सकता है। 2. मसूढ़ों से खून आना हीमोफिलिया का दूसरा लक्षण है मसूढ़ों से खून आना। अगर किसी व्यक्ति के मसूढ़ों से खून आ रहा है और रूक नहीं रहा है तो यह उसके लिए खतरनाक हो सकता है।

अधिक खून बहना 

 चोट लगने पर अधिक खून बहना अगर किसी व्यक्ति को हल्की चोट लगने पर भी बहुत ज्यादा खून बेहता है तो उसे हेमोफिलिया की बीमारी हो सकती है।
 जोड़ों में दर्द और खून आना यदि कोई व्यक्ति हीमोफिलिया से पीड़ित है, तो उसे जोड़ों में दर्द होगा, इसका मुख्य कारण है जोड़ों में आंतरिक खून का बेहना। अगर यह स्थिति खारब हो जाती है तो जोड़ों में सूजन, दर्द और लाल पड़ने लगते हैं।
ये बीमारी बच्चे के जन्म से भी हो सकती है. कई बार जन्म के बाद ही इसका पता चल जाता है. अगर हीमोफीलिया मध्यम और गंभीर स्तर का है तो बचपन में आंतरिक स्राव के चलते कुछ लक्षण सामने आने लगते हैं.
हीमोफीलिया कैसा रोग है

हीमोफीलिया कैसा रोग है 

लेकिन, गंभीर स्तर के हीमोफीलिया में खतरा बहुत ज़्यादा होता है. कहीं ज़ोर से झटका लगने पर भी आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो सकता है.
लेकिन, अगर बीमारी हल्के स्तर की है तो इसका आसानी से पता नहीं चल पाता. अमूमन जब बच्चे का दांत निकलता है और ख़ून बहना बंद नहीं होता तब इस बीमारी का पता चल पाता है.
कई बार घुटने में चोट लगती है और ख़ून अंदर ही जम जाता है जिससे घुटने में सूजन आ जाती है.

मल / मूत्र में खून 

आना गुर्दे और मूत्राशय में आंतरिक खून के आने से मल / मूत्र में खून आने लगता है। जो हेमोफिलिया जैसे बीमारी का प्रमुख लक्षण है। मस्तिष्क में खून आना हीमोफिलिया के सबसे गंभीर मामलो में से एक है मस्तिष्क में खून आना। इसमें मस्तिष्क के अंदर खून का स्राव होने लगता है जिससे सिरदर्द, गर्दन में दर्द और उल्टी आने लगती है।

 कमजोरी और डबल विज़न 

कमज़ोरी महसूस करना, डबल विज़न यानी हर चीज़ दो दिखना और चलने में मुश्किल होना। यह भी हेमोफिलिया के अन्य प्रमुख लक्षण हैं।

 हीमोफीलिया में ख़ून बहना बंद नहीं होता है. इसमें जान जाने का भी ख़तरा होता है.
17 अप्रैल को हीमोफीलिया डे है जो इस बीमारी को लेकर जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है.

क्या है हीमोफीलिया क्या है  

ये एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमें ख़ून का थक्का बनना बंद हो जाता है. जब शरीर का कोई हिस्सा कट जाता है तो ख़ून में थक्के बनाने के लिए ज़रूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं. इससे ख़ून बहना अपने आप रुक जाता है.

जब शरीर से ख़ून निकलना बंद नहीं होता

जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है उनमें थक्के बनाने वाले घटक बहुत कम होते हैं. इसका मतलब है कि उनका ख़ून ज़्यादा समय तक बहता रहता है.
अतुल अस्पताल में मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. गंगाराम  बताते हैं, ''ये बीमारी अधिकतर आनुवांशिक कारणों से होती है यानी माता-पिता में से किसी को ये बीमारी होने पर बच्चे को भी हो सकती है. बहुत कम होता है कि किसी और कारण से बीमारी हो.''
हीमोफीलिया का इलाज  / दवा


हीमोफीलिया की खोज 

''हीमोफीलिया दो तरह का होता है. हीमोफीलिया 'ए' में फैक्टर 8 की कमी होती और हीमोफीलिया 'बी' में घटक 9 की कमी होती है. दोनों ही ख़ून में ​थक्का बनाने के लिए ज़रूरी हैं.''
डॉ. गंगाराम का कहना है कि ये एक दुर्लभ ​बीमारी है. हीमोफीलया 'ए' का 10 हज़ार में से एक मरीज़ पाया जाता है और 'बी' के 40 हज़ार में से एक, लेकिन ये बीमारी बहुत गंभीर है और इसे लेकर जागरूकता बहुत कम है.

हीमोफीलिया का इलाज  / दवा 

पहले हीमोफीलिया का इलाज मुश्किल था, लेकिन अब घटकों की कमी होने पर इन्हें बाहर से इंजेक्शन के ज़रिये डाला जा सकता है.  दवाइयों से भी इलाज हो सकता है अगर बीमारी की गंभीरता कम है तो.
माता या पिता को अगर ये बीमारी है तो उनसे बच्चे में आने की संभावना होती है. ऐसे में पहले ही इसकी जांच कर ली जाती है.
वहीं, भाई-बहन में से किसी एक को है, लेकिन दूसरे में उस समय इसके लक्षण नहीं है तो आगे चलकर भी ये बीमारी होने की आशंका बनी रहती है.

हीमोफीलिया के कारण  

डॉ. गंगाराम बताते हैं कि ज़्यादातर मामलों में घटक 8 की कमी पाई जाती है. ऐसे में पहले पता लगाया जाता है कि शरीर में किस घटक की कमी है. अब बाजार में इस तरह के घटक उपलब्ध हैं इसलिए बीमारी का इलाज आसान हो गया है. समय पर इसका पता चल जाने पर इंजेक्शन देकर  घरेलू उपचार  इलाज हो सकता है.